लय हुआ जो आज
धरा के आवर्त से
कल उदित होगा फिर
प्रकृति की प्रवर्त से
नई सुबह नई आस लाये
उदयाचल फिर मंगलगीत गाए
घाव जो गहरे,
अश्रु बन पलकों पे ठहरे
बिछड़े जो बीच सफ़र में
फिर मिले बन ज़िंदगी के नए चेहरे
स्याह राते खिली सुबह का आलिंगन करे
नव प्रभात,नव वर्ष हर आंगन में
नव ऊर्जा ,नव प्राण भरे।
नव वर्ष मंगलमय हो।
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