Saturday, January 1, 2022

नव वर्ष मंगलमय हो

 लय हुआ जो आज 

धरा के आवर्त से

कल उदित होगा फिर 

प्रकृति की प्रवर्त से

नई सुबह नई आस लाये

उदयाचल फिर मंगलगीत गाए

घाव जो गहरे, 

अश्रु बन पलकों पे ठहरे

बिछड़े जो बीच सफ़र में

फिर मिले बन ज़िंदगी के नए चेहरे

स्याह राते खिली सुबह का आलिंगन करे

नव प्रभात,नव वर्ष हर आंगन में

नव ऊर्जा ,नव प्राण भरे।

नव वर्ष मंगलमय हो।

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