मेरी कविताएं - 1
सफर है अपने इख्तियार में
मंज़िले नसीब से मिला करतीं हैं।
राहे लाख लंबी हो
मंज़िलो को करीब से छुआ करती हैं
उम्र खोई मंज़िलो के इश्क में भटकते
अब तो राहों की ख़ाक से ही
मुहब्बत हुआ करती है।
मेरी कविताएं - 2
सलाम उन्हें
जो कांधे पे रखे ज़नाज़ा
अपने सरदार का
खड़े चट्टान से
बंद किये रास्ता दिले गुबार का
मेरी कविताएं - 3
कमज़र्फ ही सही तेरी नज़र में
पर खुदमुख्तार हम हैं
तू माने या न माने
बरखुद्दार हम हैं।
चाहते तो झुक कर सारी
क़ायनात तुझे दे देते
पर कर न सके ऐसा
क्योंकि अब तलक खुद्दार हम हैं
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