Wednesday, December 7, 2022

हो कर मेरे फलक से दूर

 आसमां में 

टिमटिमाता हुआ

तारा है तू,

किसी जहाँ का 

चमकता हुआ 

सितारा है तू।


है तू नज़रों में तो

मगर अहसासों में 

क्यों गुम है,

होके मेरे फलक से दूर

क्यों इस कदर

आवारा है तू।


चलना था गर

एक दूजे का

हमसफर बन,

इस सफर में

क्यों अकेला फिर

बंजारा है तू।


छूट गए हाथ

बिखर गए ज़ज़्बात

हो गए तन्हा

ऐ दिल!!!

फुरकत का

मारा है तू।

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