शिराओं में बहता तेरे
राणा का लहू है
मिट के भी जो न मिट सका वो तू है
धरा से व्योम तक
जिनके कदमों के निशान
उनकी संतति तू है
आज फिर एक युद्ध जीवन का
जो इसे सकता है जीत
वो मात्र तू है।
बहुत खूबसूरत
बहुत खूबसूरत
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