Sunday, January 2, 2022

राणा का लहू

 शिराओं में बहता तेरे 

राणा का लहू है

मिट के भी जो न मिट सका वो तू है

धरा से व्योम तक

जिनके कदमों के निशान

उनकी संतति तू है

आज फिर एक युद्ध जीवन का

जो इसे सकता है जीत

वो मात्र तू है।

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