Monday, January 24, 2022

उधार

 तुम्हारी बांहो के घेरो में घर है मेरा

तुम्हारी सांसो से मेरी सांसो का रिश्ता गहरा

तुम्हारीआंखों में तैरता वो ख्वाब सुनहरा

तुम्हारी धड़कनो पर मेरी धड़कनो का पहरा

तुम्हारी चाहतों पर मेरा हक़ पूरा

तुम्हारे बेपरवाह अंदाज पर फिदा दिल हमारा

गुरुर सा खुद पे जो पाया साथ तुम्हारा

तुम्हारी इक उधारी जो बाकी मुझपर

हज़ार आंसुओ का सबब ज़िन्दगी से भारी मुझपर

साथ ले जाऊँगी ये कर्ज़ तुम्हारा

वसूलना जब मिलूंगी दुबारा

तुम्हारी खुशियों पर कुर्बान ये जहांन सारा





1 comment:

  1. भावों की गम्भीरता की कोमलकांत अभिव्यक्ति

    ReplyDelete