Monday, February 14, 2022

इकरार..

 तेरी नज़रो में जो झांकता

बेशक वो प्यार था

पर न जाने क्यू तेरे 

लबों पर इनकार था

तेरी तू ही जाने

दिल मे छुपे प्यार को

 माने या न माने

इक़रार न सही तो न सही

इनकार तो नहीं किया तूने

बस यही सोच कर 

तुझसे प्यार किया मैने

खुला ख़त था दिल मेरा

जिस पर लिखा था नाम तेरा

वो जो छिपा रखा था 

दिल मे तूने

ज़रूर लबों तक आएगा

यही सोच इंतज़ार किया मैने

एक  दिन एक खूबसूरत सा

पैगाम दिया तूने

न जाने क्यू अचानक 

तुझ पर मेरी जीत को 

मान लिया तूने

तेरा इक़रार जीत कर

सब कुछ खुशी से हारा मैने

तेरी आँखों मे जो झाँकता था

उसमें एक नया संसार बसाया मैने।

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