जब लफ्ज़ सो जाएँगे
खामोशियाँ बोलेंगीं
जब लहरें ठहर जाएँगी
किनारे डोलेंगे
जब तारों के दरिया
में
चाँद कश्ती बन बहेगा
जब जमीं, गुलाबी सी
आसमां हरा होगा
तब मिलना तुम
मुझे उस रोज
जब सूरज, चाँदनी ओढ़े
क्षितिज पर खड़ा होगा...
जब आँखों की ज़रूरत
न होगी
कान होंगे बेमानी
तब महसूस करना तुम
मुझे खुद में सिमटते
हुए..
जब चिता बिछौना होगी
जल के राख होंगे सारे
गुरूर
तब मिलना तुम, उस पार मुझे
अंजुरी भर शांति लिए....
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18.11.23
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