Saturday, November 18, 2023

जब लफ्ज़ सो जाएँगे

जब लफ्ज़ सो जाएँगे

खामोशियाँ बोलेंगीं

जब लहरें ठहर जाएँगी

किनारे डोलेंगे

जब तारों के दरिया में

चाँद कश्ती बन बहेगा

जब जमीं, गुलाबी सी

आसमां हरा होगा

तब मिलना तुम

मुझे उस रोज

जब सूरज, चाँदनी ओढ़े

क्षितिज पर खड़ा होगा...

जब आँखों की ज़रूरत न होगी

कान होंगे बेमानी

तब महसूस करना तुम

मुझे खुद में सिमटते हुए..

जब चिता बिछौना होगी

जल के राख होंगे सारे गुरूर

तब मिलना तुम, उस पार मुझे

अंजुरी भर शांति लिए....

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18.11.23

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