दस्तूर ए ज़िंदगी
बस ये कि गुज़रा हुआ वक़्त
लौट के आता नहीं दुबारा..
लम्हों से बंधी ज़िंदगी
छिटक जाए जो कोई पल
उसे सजाता नहीं दुबारा..
कसूर ए ज़िंदगी बस इतना
जो चला गया ठुकरा के
उसे बुलाता नहीं दुबारा..
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04.12.2023
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