Monday, December 4, 2023

लम्हों से बंधी ज़िंदगी

दस्तूर ए ज़िंदगी

बस ये कि गुज़रा हुआ वक़्त

लौट के आता नहीं दुबारा..

 

लम्हों से बंधी ज़िंदगी

छिटक जाए जो कोई पल

उसे सजाता नहीं दुबारा..

 

कसूर ए ज़िंदगी बस इतना

जो चला गया ठुकरा के

उसे बुलाता नहीं दुबारा..

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04.12.2023


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