Tuesday, December 26, 2023

है पूर्णता शून्य में

वो जो कितना कुछ

अधूरा छोड़ दिया मैंने,

वो जो था कर्तव्य मेरा

पर मुँह मोड़ लिया मैंने,

है पूर्णता शून्य में

खुद को खोकर जग में

होना था शून्य मगर,

ओढ़ आडंबर, रचा ढोंग मैंने

तो क्या हो जाऊँगी मुक्त मैं?

क्या मिल जाएगा मोक्ष मुझे,

तो क्या वो जिसने रची सृष्टि

उसकी रचना का कर तिरस्कार

कर पाऊँगी उसे भ्रमित मैं?

जब खुद को ही न पा सकी

तो क्या उसे पा सकूँगी मैं?

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26.12.2023


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