बेजुबां तो न थी
पर जुबां सी के दफ़न
किया
खुद को दीवारों की
तह में
ताकि छत सलामत रहे
बच्चों के सर पर मेरे..
बेशक कद मुझसे बडा
था तेरा
पर किरदार में छोटे
थे
खुद से भी ये सच छुपाती
रही
ताकि छत सलामत रहे
बच्चों के सर पर मेरे..
क्या जानोगे कभी
उस घर की कीमत तुम?
जिसे पुर्जा-पुर्जा
कट के वो चुकाती रही
ताकि छत सलामत रहे
बच्चों के सर पर मेरे..
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07.03.2024
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