Saturday, May 18, 2024

अनंत प्रतीक्षा

 अनंत प्रतीक्षा को प्रेम 

जब उन्मेषित हो वर लेता है


झूमती धरती को आकाश 

जहाँ बाहों में भर लेता है


यत्किंचित न खुलते नयन

जब श्वासों का राग मिलता है


सिंदूरी लालिमा सजती

अलक पर बदरा झूमता है


तब क्षितिज पुलकित

कलियों सा सजता है


मधुप टपकता,पुष्प बरसते

जब यह मिलन होता है


अनंत प्रतीक्षा को प्रेम 

जब उन्मेषित हो वर लेता...


18.05.24

1 comment:

  1. बेहतरीन भाव बोध से रची पगी रचना.

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