ए ज़िंदगी तेरे फैसलों को बदलना मेरे इख़्तियार में नहीं
औऱ मुझ पर रहमतों की बारिश तेरे किरदार में नहीं
लंबे फासले तय किये तेरे साथ चलते
तूने जो राहे सजाई उनमें गिरते संभलते
शबनमी अहसासों की मखमली ज़मीन पर
तमाम खूबसूरत रिश्ते बनाये
पर न जाने क्यू तुझे ये रास न आये
बेवक्त बिछड़ना ही अगर मेरा नसीब था
एक हल्का सा इशारा तो देती ज़िंदगी
अफ़सोस के साथ उम्र जाएगी
उम्र भर के रिश्ते ताउम्र निभाने तो देती ज़िन्दगी
एक हल्का सा इशारा तो देती ज़िंदगी
ज़िन्दगी तेरा इरादा क्या है
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