तेरा ग़म तेरे साथ गया ओ बेवफा!
न तू रहा न वो ज़ख़्म जो दिए तूने
खरोंचे जो दी स्याह,दिल पर मेरे तूने
उन्हें वक़्त के मरहम से मिटाया हमने
मैं वो चांद नहीं कि,
दाग को जिसकी तक़दीर बनाया तूने
अपने अक्स को करने मुकम्मल
दुनिया भर की रोशनी से खुद को नहलाया हमने
तूने बदली राह अपनी चुने नए रहबर
टूटे दिल के साथ ही सही, ढूंढी अपनी डगर हमने
कौन है तू?क्या तेरा नाम है?मुझे कुछ याद नही,
याद है तो बस वो ख़्वाब, बदली मेरी पहचान जिसने
सकारात्मक कविता
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