Wednesday, August 3, 2022

आज़ादी

 आज़ाद है वतन हमारा

लहराता तिरंगा झूम के

रख दिये कदम हमने

मंगल पर ध्वज अपना चूम के

गहरे समुंदर में साख बनाई

अंतरिक्ष दिया भेद हमने

बेशक नई कहानियां रची हमने

गढ़े पल स्वर्णिम गौरव के

पर रुक कर एक पल सोचो!!!

क्या यह स्वराज पूरा है??

क्या आज़ादी का दीपक जलता हर घर में?

क्या लब सभी के 

आज़ाद है?

क्या सभी के लिए आज़ाद खुली सांस है?

क्या नहीं मजबूर जीने को

पशुओं से बदतर जीवन

हमारे ही कुछ अपने

क्यों कंगाल है हमारी संवेदनाएं

 भूख से मरते नैनिहलो पे

क्यो संसद में डाकू बैठे

लूटते खज़ाना बेलगाम से

क्यों तिल- तिल मरता आम आदमी अपनी ही

भूख प्यास से

आज़ादी एक सफर है

लक्ष्य जिसका सब जन है

भूख ,भय से टकराओ

 निर्भय हो बागी बन जाओ

अगर जीना है सच्ची आज़ादी में

तिरंगा प्रतीक है हमारी 

सामूहिक पहचान का

ये पहचान न धूमिल होने पाए

लहरा रहा जो आज गगन में

चाहता तुमसे एक अहद है

उस आज़ादी तक अथक जागते रहो जहाँ

सभी भूख से आज़ाद हो

सभी के लिए खुली सांस हो

मोल करो आज़ादी का मिली जो विरासत में...

1 comment:

  1. अभी भी बहुत बड़ी संख्या उनकी है जो तिरंगे पर जान न्योछावर कर देंगे। तिरंगे की शान इसी से बनी है। अन्यथा की स्थिति में कुछ लोगों के लिए ये महज एक कपड़ा है। इसके उदाहरण आए दिन देखने को मिलते रहते हैं।

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