अपने ही साये से कोई कितना भागे
मुंदी आंखों में कोई कितना जागे
क्या दूँ जवाब उन सवालों का
जो मेरा मैं ही मुझ पर दागे
खुशी की चाह तो बहुत की
पर वो न जाने क्यू दूर भागे
खुली आँखों से ख़्वाब बिखरते देखे
तमाम हसरतों के घोंसले उजड़ते देखे
इस हार को कैसे बदलूँ जीत में
कोई तो वो रास्ता बताये
अब तो इक ही तमन्ना दिल में
चांदनी से नहाये सपनों को
आसमां पर सजते देखें।
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