Wednesday, August 10, 2022

अपने ही साये

अपने ही साये से कोई कितना भागे

मुंदी आंखों में कोई कितना जागे

क्या दूँ जवाब उन सवालों का

जो मेरा मैं ही मुझ पर दागे

 खुशी की चाह तो बहुत की

 पर वो न जाने क्यू दूर भागे

खुली आँखों से ख़्वाब बिखरते देखे

तमाम हसरतों के घोंसले उजड़ते देखे

इस हार को कैसे बदलूँ जीत में

कोई तो वो रास्ता बताये

अब तो इक ही तमन्ना दिल में

चांदनी से नहाये सपनों को

आसमां पर सजते देखें।


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