Thursday, August 11, 2022

योद्धा हूँ मैं

 मेरी कविताएं - 1

 

योद्धा हूँ मैं पराजय नहीं मेरी नियति

संघर्ष ही इस जीवन की परिणिति

चंडी है आराध्य मेरी रणभूमि है जननी

जन्म ही लिया जीवन समर में लौह टकराने को

विजय या वीरगति पाने को


मेरी कविताएं - 2


शिराओं में बहता तेरे 

राणा का लहू है

मिट के भी जो न मिट सका वो तू है

धरा से व्योम तक

जिनके कदमों के निशान

उनकी संतति तू है

आज फिर एक युद्ध जीवन का

जो इसे सकता है जीत

वो मात्र तू है।

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