स्याह रातें गवाह है, सच की
टूटे ख्वाबों और बेबसी में
डूबे आंसुओं की
उजालो में जो रूबरू दुनिया से
वो अधूरी तस्वीर मेरी
बाकी तस्वीर अमानत अंधेरों की
सजा के होठों पे मुस्कान
छुपा रखे है हिसाब
ज़िंदगी से मिली ठोकरों की
उजाले करते चकाचौंध मुझे
अंधेरों में ही होती
मुलाकात खुद से खुद की
05.02.23
बेहतरीन
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