जो मुमकिन न था पाना
उससे ही दिल लगा
बैठे,
एक हंसते हुए दिल
को
हम अश्कों में
डुबा बैठे.
तूफान था दरिया
में
बेरुख थी हवाएं,
आजमाइश ए तकदीर
में
हम अपनी कश्ती
डुबा बैठे.
हर ख्वाहिश को पर नहीं
लगा करते
सहरा में चश्मे
नहीं मिला करते,
समुंदर से शहद की
चाह में
हम अपनी राह में
कांटे बिछा बैठे.
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