Tuesday, March 21, 2023

मैं कौन हूँ?

मैं कौन हूँ?

कहाँ से आई?

क्या है आगम मेरा?

इस भू पर

चर अचर पर,

कहाँ उदगम मेरा?

भूत हूँ कि भविष्य

वर्तमान की कथा कोई

कहाँ से आई ?

क्या है गंतव्य मेरा?

इस चराचर ब्रह्म में,

नीले गगन में

तप्त अनल में

शीतल जल में

कौन है मेरा?

मैं कौन हूं?

कहाँ से आई?

क्या है आगम मेरा?

यदि रश्मियों के संसार से

तो अंधकार से भय कैसा?

यदि उल्काओं की जात से

तो ये दुर्बलता का वास कैसा?

यदि शिव का अंश,

तो ये त्रास कैसा?

मैं कौन हूँ?

कहां से आई?

क्या है आगम मेरा?

एक शाश्वत सत्य

तू ही इस ब्रह्म में,

स्रोत समस्त जीवन का

तुझमे ही लीन सब होते

कर आलिंगन मरण का,

फिर क्यों ये जीव भटकता,

परम सत्ता से मिलन को

यह भ्रम कैसा?

ये तुझमे और मुझमें

प्रकारान्तर क्यों है?

तेरी भुजाओं में

अंतरिक्ष है समाया

लहराता क्षीर सागर तुझमें,

तेरी पलकों की फड़कन से

भूडोल हो जाते,

तेरी भृकुटि पर

सृष्टि और संहार बैठे,

तू ही जग का है प्रवाह

तू ही माया का संसार,

फिर तेरे अस्तित्व पर

ये संदेह कैसा?

फिर तेरी सत्ता पर ये

नकार कैसा?

मैं कौन हूँ?

कहाँ से आई?

क्या है आगम मेरा?


21.03.2023


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