Wednesday, March 29, 2023

तेरी सांसों के दायरे में

गूंगी पीड़ाएँ बहा करती आंखों से

बांध खुद को मौन से,

चुपचाप रहा करती सांसों में

करती इंतज़ार लंबे

कोई तो झांके दिल में

कब तक मौन टकराये दीवारों से,

तेरी स्मित की चाह ने

तोड़े भय के बंधन सारे

बह उठी पीड़ा

तेरी बांहों के घेरे में,

खुद को सम्भालूँ कैसे

अब तू ही संभाल हमें

बाँधा खुद को

तेरी सांसों के दायरे में.

 

29.03.2023


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