एक आयामी नद से विवश
बहने को सागर की ओर,
एक काली रात की प्रतीक्षा
देखने की सुनहरी भोर,
एक अर्भ से उजड़े बाग का
हृदय, सावन में लेता हिलोर,
एक गीत जिसकी रागिनी
झूमे, बांध तरंगों की डोर,
एक जन्म स्वयं का
कटता, बाँध मृत्यु से छोर,
एक मौन जो सब कहता
स्वर, जो लीन शांति में घनघोर.
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02.11.23
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