Friday, November 3, 2023

प्रेम कुचला गया ठोकरों में

प्रियतमायें हुई लांछित

विदुषियों को दूषा समाज ने,

जिसे समझा सौभाग्य पांचाली ने

अहो! वह बना दुर्भाग्य कैसे,

अरण्या हुई वह सीता भी

जिसका वरण किया स्वयं राम ने,

भस्म हुई वह सती भी

जिसका बन्धन बंधा शिव से,

वासना ने घेरा हृदय को

प्रेम कुचला गया ठोकरों में,

कायरों ने भोगा वैभव

पौरुष, दहित हुआ संघर्ष में,

मृत्यु के भय ने

जीवन बनाया शमशान जैसे.

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02.11.23

 


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