Friday, November 10, 2023

रघुवर धरो पग

रघुवर धरो पग

तृप्त हो ये धराअम्बुद

स्वीकार करो वंदन

हे राम! हे रघुनंदन! 

काहे रहे विमुख

हे राजीव लोचन! 

हृदयनलनी गई कुम्हल

रेत हुए सब हृद

जिस दिन से फिरे पग

सकल भूमि रही तप

व्याकुल मीन, सरोज

तड़पे खगमृग

सहे वियोग चौदह बरस

एक युग रहा विकल

की प्रतीक्षा अनवरत

अब श्री विराजेंमिटे तम

सिया संग रघुवर धरो पग

पुरनगरआँगन हो पावन

जलें दीपों से दीप

झूमे प्रजा गुंजित हो गीत

अब मिले यह प्रतिफल

हृदय सजो रघुवर

मर्यादाएँ हों प्रतिष्ठित हे सियवर! 

स्वीकार करो वंदन...

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09.11.23

 


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