नंदी सी अनंत प्रतीक्षा
शिव सा वैराग्य बन
तपस्या हो जाना
जीवन तुम।
गरल को अवरुद्ध कर
नीलकंठ सा
अमृत हो जाना
जीवन तुम।
नेत्रों में संहार छिपा
अरण्य,निर्जन सा
ध्यानमग्न हो जाना
जीवन तुम।
सृष्टि के रुदन पर
अभ्यंकर का
तांडव हो जाना
जीवन तुम।
मोह को भस्म कर
चिता सी वियोगी
भभूत हो जाना
जीवन तुम।
भंग हो शांति जब
धारण कर चंद्र, शीश पर
शशिधर हो जाना
जीवन तुम।
मिलन, वियोग से निरपेक्ष
अखंड सौभाग्य का
प्रतीक हो जाना
जीवन तुम।
समर्पण और प्रेम के
संयोग सा
अर्धनारीश्वर हो जाना
जीवन तुम।
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06.11.23
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