हो गहरी धुंध कितनी
भी,
सूरज के समक्ष न टिक
पाएगी..
हो राह चाहे शूलों से भरी,
दृढ़ प्रतिज्ञा को लक्ष्य
तक पहुँचाएगी..
हो पथ अवरूद्ध चाहे
अंगारों से ही,
हिम्मत बन फौलाद राह
बनाएगी..
हो समस्त धाराएँ प्रतिकूल
भी यदि,
दुस्साहसी को न डिगा
पाएँगी..
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13.12.2023
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