एक रोज़ हम न जाने
कहाँ गुम जाएँगे
बस किस्से ही रह जाएँगे
साथ छूट जाएँगे
हाथ खाली रह जाएँगे
बस यादें हमारी
दीवारों से टकरा
वापस आएँगी
हम न जाने
किस धुन्ध में खो जाएँगे
शब्द गूँजेंगे
दिल की गहराइयों में
अक्स मिट जाएँगे
दुनिया यहीं रह जायेगी
हम न जाने कहाँ जाएँगे
यूँ ही रंग सजे रहेंगे
घिरे रहोगे मेलों में
फिर भी तन्हाइयों में
हम याद आएँगे...
14.03.24
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