स्वयं में छिपाया
गरल और पीयूष है
स्वयं से ही बाँध रखे
सृष्टि और श्मशान भी
स्वयं में ही तैरता
आनन्द और तांडव है
स्वयं ही देव और दानव
भी
स्वयं का स्वयं से
जो बिखरे तारतम्य
सृष्टि होगी शमशान
देव मृत होगा
पी गरल जागेगा दानव
आनंद तांडव में दहित
होगा
मौन नहीं पराजय
जो चुप रहे धरा
वो भूडोल होगा
बिखरेगा कण कण
स्रोत होंगे ध्वस्त
अनल फूटेगा
तपेगा आकाश
जीवन पातालाभिमुख होगा
कैसे सूर्य उजागर होगा
कहाँ ठहरेगा ये अंतर्द्वंद्व?
फिर कहाँ बसंत होगा...
09.03.2024
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