Saturday, March 9, 2024

कहाँ ठहरेगा ये अंतर्द्वंद्व

स्वयं में छिपाया

गरल और पीयूष है

स्वयं से ही बाँध रखे

सृष्टि और श्मशान भी

स्वयं में ही तैरता

आनन्द और तांडव है

स्वयं ही देव और दानव भी

स्वयं का स्वयं से

जो बिखरे तारतम्य

सृष्टि होगी शमशान

देव मृत होगा

पी गरल जागेगा दानव

आनंद तांडव में दहित होगा

मौन नहीं पराजय

जो चुप रहे धरा

वो भूडोल होगा

बिखरेगा कण कण

स्रोत होंगे ध्वस्त

अनल फूटेगा

तपेगा आकाश

जीवन पातालाभिमुख होगा

कैसे सूर्य उजागर होगा

कहाँ ठहरेगा ये अंतर्द्वंद्व?

फिर कहाँ बसंत होगा...

09.03.2024


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