फिर एक जंग हिस्से आ गई
है अजब मुहब्बत, अदावत को हमसे
बार- बार हमसे टकरा गई
तूने किया तय, संग लश्कर के आना
जंग के उस पार खड़ी तू,
मत सोच मुहब्बत मेरी हार जाएगी
जाएगा जुनून मेरा जंग में
जानेमन!! हज़ार लश्कर चीर के
लाएगा इश्क़ मेरा तुझे छीन के
निभाएंगे हम अपनी मुहब्बत
तू अपनी ज़िद आज़माना
है कबूल हमे अब ये जंग भी
फिर एक जंग हिस्से आ गई...
12.10.25
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