Friday, December 12, 2025

पहचान मुझे!!

 जड़ में, चेतन में

धारों के प्रवाह में

स्रोतों के उछाह में

उपवन की हरीतिमा में

आकाश की नीलिमा में

मैं ही हूँ, मैं ही तो हूँ.

 

पहाड़ों के ठहराव में

घाटियों के गहराव में

धरा के फ़ैलाव में

ज्वलंत अग्निशिखाओं में

शीतल, ठंडी छाव में

मैं ही हूँ, मैं ही तो हूँ.

 

जलधि के अंतस में घूमते ज्वार में

महाकाल के हुँकार में

ध्वनियों के संगम ओंकार में

आकार में, निर्विकार में

व्योम से अंतरिक्ष के एकाकार में

मैं ही हूँ, मैं ही तो हूँ.

 

सृष्टि की सुंदरता में

रण की वीभत्सता में

प्रत्यक्ष में, अदृश्य में

घटित में, अघटित में

प्रसन्नता, शोक में

मैं ही हूँ, मैं ही तो हूँ.

 

जब हृदय हार बैठे

लक्ष्य न कोई शेष बचे

फँसे निराशा के भँवर में

एक कण जो आशा दे

जो साहस, प्रेरणा भर दे

मैं ही हूँ, मैं ही तो हूँ.

 

रुष्ट पृथ जब कंपन करे

जीवन का मर्दन करे

प्रलय बाद जो जीवन जागे

उस नव-प्रभात में

मनुज के पराक्रम में

मैं ही हूँ, मैं ही तो हूँ.

 

किंकर्तव्यविमूढ़ समर में

घात प्रतिघात के भँवर में

फाल्गुनी की निराशा हरे

वो स्थितप्रज्ञ जो उन्मेषित करे

कर्तव्य पथ पर अग्रेषित करे

मैं ही हूँ, मैं ही तो हूँ.

 

प्रदीप्त उजियार में

घनघोर अंधकार में

दुर्गा के प्रहार में

काली के संहार में

जन्म में, मृत्यु में

मैं ही हूँ, मैं ही तो हूँ.

 

ब्रह्मा की रचनात्मकता में

नारायण की मोहकता में

शिव की अभ्यंकरता में

नारी की कोमलता में

पुरुष की दृढ़ता में

मैं ही हूँ, मैं ही तो हूँ.

 

धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष में

जीवन के हर द्वार में

काल के विधान में

आत्मा के स्पंदन में

परमात्मा से सम्मिलन में

मैं ही हूँ, मैं ही तो हूँ.


तेरे यंत्र तंत्र बिखराव में

आवृत में अनावृत में

सत्य की अग्नि में 

सूक्ष्म में विराट में

फचाम मुझे!!

मैं हूं, में ही तो हूँ..

Monday, November 3, 2025

जीत मुबारख हो!!!

 मुबारख हो तुम्हें पसीने में नहाई

ये जीत लड़कियों!


मायने रखती है बहुत 

मेहनत से आई ये जीत लड़कियों!


इसलिए नहीं कि चैंपियन हो 

आज तुम लड़कियों!


बल्कि इस लिए कि खुशी से उछलने वाले 

पुरुष थे लड़कियों!


वो तुम्हारे संघर्ष में, जश्न में 

साथ उतने ही थे जितनी तुम थी लड़कियों!


जीत है ये भी कि शक नहीं था कोई, 

तुम ये न कर पाओगी लड़कियों!


इस उल्लास में मिटी गैर बराबरी इसलिए

मुबारख हो ये जीत लड़कियों!


03.11.25

Wednesday, October 15, 2025

फिर एक जंग हिस्से आ गई

 फिर एक जंग हिस्से आ गई

है अजब मुहब्बत, अदावत को हमसे

बार- बार हमसे टकरा गई


तूने किया तय, संग लश्कर के आना

जंग के उस पार खड़ी तू,

मत सोच मुहब्बत मेरी हार जाएगी


जाएगा जुनून मेरा जंग में

जानेमन!! हज़ार लश्कर चीर के

लाएगा इश्क़ मेरा तुझे छीन के


निभाएंगे हम अपनी मुहब्बत

तू अपनी ज़िद आज़माना

है कबूल हमे अब ये जंग भी


फिर एक जंग हिस्से आ गई...


12.10.25

Friday, September 19, 2025

एक फांक ज़िन्दगी से

 एक फांक ज़िन्दगी से

दे जाऊंगी तुम्हें

रखना सम्भाल के..


बहुत सी यादें

अनगिनत बातें

रखना सम्भाल के..


यदाकदा ही मिलते

दो सिरफिरे एक से

मुलाकातें, रखना सम्भाल के..


सूर्योदय से चमकते

चांद सी शांत भावनाएं

रखना सम्भाल के..


होंगे टूटते रिश्ते

सबसे गहरा रिश्ता ये

रखना सम्भाल के..


लिखेंगे नई इबारतें

मित्रता के क्षितिज पे

स्नेह,रखना सम्भाल के..


19.09.25

Wednesday, September 17, 2025

क्रांति

 ओ क्रांति!! सुना है तुम

तख्त ओ ताज उखाड़ देती हो

रंगीन सपने दिखा

सुंदर बाग उजाड़ देती हो

जिन्हें सजाना है गुलशन

उनके हाथों में मशाल थमा देती हो


निराशा के समंदर का तुम

एक उग्र तूफान हो

सजीली सपनों से सजी

आँखों में तुम ज्वाला जला देती हो

वो ज्वाला जिसमे भस्म

इंसानियत होती सबसे पहले


पर सुनो क्रांति!!

तुम हो रोमांचक,करती सम्मोहित

जहरीले पाश तुम्हारे

है अदभुत आकर्षण तुममें

पर विश्वसनीय नहीं तुम हो

क्योकि नहीं ठहराव तुम में


इंतज़ार न खत्म होगा कभी,

इस ज़मीन पर तेरा ओ क्रांति!!

हैं हरी धरती,बहती कलकल धाराएं है

भरे हैं पेट जनमानस के!

भूखों के पेट मे ही जलती 

पहले तेरी ज्वाला है


हमारे हाथों में हुनर

खेतों में पसीना बहाने की कुव्वत है

हम हैं आस्तिक!

विश्वास पर जीने वाली कौम

झूठे सपने भूखों को होंगे सुहाते

हमारे पेट भरे हुए है क्रांति!!


देखते हैं हम सपनों के उस पार भी

क्रांति!! तुम जब तहस-नहस करके

बुझाओगी अपनी मशाल,

तब कैसे समेटेंगे हम इस तबाही को

कहाँ से आएंगे वो हाथ,?

जो रोकेंगे तेरी शक्ल में आई बर्बादी को


सुनो क्रांति!!

जीवन को समर मान

लड़ने वाले योद्धा हम हैं,

हर संग्राम हमारा सृजन हेतु

कृष्ण आराध्य हमारे

निष्काम कर्म को जीने वाले हम हैं


सोद्देश्य,श्रमिक जीवन जीने वाले हम है

उतार लाया था एक पुरखा हमारा

भागीरथी को हिमालय से

विनाश नहीं सृजन लक्ष्य था उसका

हमें न भटकाओ क्रांति!!

हम जीवन मर्म समझने वाले लोग हैं


निरुद्देश्य हिंसा हमारे 

जीवन का लक्ष्य नहीं

हम स्वप्न सजाने वालों की संतति

पूर्णता की चाह रखने वाली कौम हैं

ये आधी हिंसा,आधी शांति

हमें न सुहाती क्रांति!!


17.09.25