Monday, January 24, 2022

उधार

 तुम्हारी बांहो के घेरो में घर है मेरा

तुम्हारी सांसो से मेरी सांसो का रिश्ता गहरा

तुम्हारीआंखों में तैरता वो ख्वाब सुनहरा

तुम्हारी धड़कनो पर मेरी धड़कनो का पहरा

तुम्हारी चाहतों पर मेरा हक़ पूरा

तुम्हारे बेपरवाह अंदाज पर फिदा दिल हमारा

गुरुर सा खुद पे जो पाया साथ तुम्हारा

तुम्हारी इक उधारी जो बाकी मुझपर

हज़ार आंसुओ का सबब ज़िन्दगी से भारी मुझपर

साथ ले जाऊँगी ये कर्ज़ तुम्हारा

वसूलना जब मिलूंगी दुबारा

तुम्हारी खुशियों पर कुर्बान ये जहांन सारा





Saturday, January 15, 2022

एक इशारा तो देती

 ए ज़िंदगी तेरे फैसलों को बदलना मेरे इख़्तियार में नहीं

औऱ मुझ पर रहमतों की बारिश तेरे किरदार में नहीं

लंबे फासले तय किये तेरे साथ चलते

तूने जो राहे सजाई उनमें गिरते संभलते

शबनमी अहसासों की मखमली ज़मीन पर

तमाम खूबसूरत रिश्ते बनाये

पर न जाने क्यू तुझे ये रास न आये

बेवक्त बिछड़ना ही अगर मेरा नसीब था

एक हल्का सा इशारा तो देती ज़िंदगी

अफ़सोस के साथ उम्र जाएगी

उम्र भर के रिश्ते ताउम्र निभाने तो देती ज़िन्दगी

एक हल्का सा इशारा तो देती ज़िंदगी

Wednesday, January 5, 2022

Desert

 No one see the tears of a desert

The burned soul and empty hands

The giggles everywhere but silence for me

Sun rises and sets with a routine

Clouds comes and mooves on me

But no rain for me

Hot summers ,chilled winters

Fails to change the fate of mine

Why this injustice with me

Spring flavors the wind

Silky flowers colours the scene

White rivers make it so devine

But no blossoms for me

Sky is full of kites

Beautiful birds touches the hights

But I have only ruthless spikes

A crying soil hurts me

Why me....... Why me...

Sunday, January 2, 2022

मेरा अक्स

 मेरे अक्स को तू माने या न माने वो रहेगा

मेरे किरदार को तू पहचाने या न पहचाने

वो रहेगा

मूंदने से आंखे रोशनी स्याह नहीं हुआ करती

नफ़रत से कभी फ़िज़ा

धुंआ नहीं हुआ करती।

वहशीपन

 तूने नोचे उसके तन से कपड़े जहां 

जिंदा ही जला दिया, 

वहशीपन ने तेरे

 किसी औरत के खून को ही शर्मशार किया ,

खुदा की खुदाई तो देखो ,

मौत ने तेरा वही इंतज़ार किया।

राणा का लहू

 शिराओं में बहता तेरे 

राणा का लहू है

मिट के भी जो न मिट सका वो तू है

धरा से व्योम तक

जिनके कदमों के निशान

उनकी संतति तू है

आज फिर एक युद्ध जीवन का

जो इसे सकता है जीत

वो मात्र तू है।

Saturday, January 1, 2022

एक कहानी

 तेरी अनकही बातो में

एक कहानी सी है

तेरे साथ से ये फ़िज़ा सुहानी सी है।

तेरी सांसो की गर्माहट से 

ज़िन्दगी में इक रवानी सी है

उम्र जो बाटी हमने आधी आधी

उसमे अभी वही जवानी सी है

तेरे वज़ूद की हकीकत में

वही कशिश पुरानी सी है।

नव वर्ष मंगलमय हो

 लय हुआ जो आज 

धरा के आवर्त से

कल उदित होगा फिर 

प्रकृति की प्रवर्त से

नई सुबह नई आस लाये

उदयाचल फिर मंगलगीत गाए

घाव जो गहरे, 

अश्रु बन पलकों पे ठहरे

बिछड़े जो बीच सफ़र में

फिर मिले बन ज़िंदगी के नए चेहरे

स्याह राते खिली सुबह का आलिंगन करे

नव प्रभात,नव वर्ष हर आंगन में

नव ऊर्जा ,नव प्राण भरे।

नव वर्ष मंगलमय हो।