मैं खुद ही खुद से डरता हूँ,
इसलिए तन्हा तन्हा
रहता हूँ।
झलके न आँखों से
छवि तेरी,
बंद आँखें अपनी
रखता हूँ।
हर्फ न टपकें आँसू
बन कर,
जुबां सिल खामोशी
बुनता हूँ।
आज़ाद हवा करे न
तुझसे दूर,
बाँध परों को खुद
में सिमटा हूँ।
मैं खुद ही खुद से
डरता हूँ,
इसलिए तन्हा तन्हा
रहता हूँ।
28.02.2023