Friday, March 31, 2023

अब तो मुझे निर्वाणो राम

बन कर पाषाण शिला

युगों से करती प्रतीक्षा

अब तो चरण रज पसारो राम!!

 

मरु सी अगन से तपती

पल-पल जलती, घुटती, मिटती

अब तो मुझे सवारो राम!!

 

मृत हुए मेघ मन के

क्षिरती कण कण धूप वर्षा से

अब तो मुझे उबारो राम!!

 

अभिशप्त ही जीवन जिसका

उसे अभिशाप का भय कैसा

अब तो मुझे करुणा से निहारो राम!!

 

परित्यक्त यह जीवन

 जैसे नैया मांझी बिन

अब तो मुझे पुकारो राम!!

 

नियति ने किया पतित

जीवन हुआ कलंकित

अब तो अहिल्या को तारो राम!!

 

जीवन रूपी इस पिंजड़े में

होती विकल, पंखहीन खग जैसे

अब तो मुझे संभालो राम!!

 

पतित इस वनिता के

नयनों से बहते नीर को

अब तो अर्ध्य समझ स्वीकारो राम!!

 

न्याय की रक्षा का ऋण तुझपे

हर युग में छली गई अन्याय से,

अब तो ये ऋण उतारो राम!!

 

अपने भाग का विष पिया मैने

जो दिया तूने, वो जिया मैने

अब तो मुझे निर्वाणो राम!!

 

31.03.2023


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