Tuesday, December 26, 2023

है पूर्णता शून्य में

वो जो कितना कुछ

अधूरा छोड़ दिया मैंने,

वो जो था कर्तव्य मेरा

पर मुँह मोड़ लिया मैंने,

है पूर्णता शून्य में

खुद को खोकर जग में

होना था शून्य मगर,

ओढ़ आडंबर, रचा ढोंग मैंने

तो क्या हो जाऊँगी मुक्त मैं?

क्या मिल जाएगा मोक्ष मुझे,

तो क्या वो जिसने रची सृष्टि

उसकी रचना का कर तिरस्कार

कर पाऊँगी उसे भ्रमित मैं?

जब खुद को ही न पा सकी

तो क्या उसे पा सकूँगी मैं?

+

26.12.2023


Thursday, December 14, 2023

हृदय में बैठा अदृश्य संसार

दृश्य-अदृश्य के मध्य

मोह और भक्ति में

झूलता संसार..

 

दृष्टि के भ्रम में खोया

हृदय में बैठा

अदृश्य संसार..

 

स्वयं को जाने बिना

तुच्छ के पीछे

भागता संसार..

 

लक्ष्य जीवन का माया नहीं

ठगनी के मोह में सब

गँवाता संसार..

 

अदृश्य से आरंभ वही अंत है

फिर उस अदृश्य विराट को क्यों न

पहचानता संसार..

+

13.12.2023


Wednesday, December 13, 2023

हिम्मत बन फौलाद राह बनाएगी

हो गहरी धुंध कितनी भी,

सूरज के समक्ष न टिक पाएगी..

 

 हो राह चाहे शूलों से भरी,

दृढ़ प्रतिज्ञा को लक्ष्य तक पहुँचाएगी..

 

हो पथ अवरूद्ध चाहे अंगारों से ही,

हिम्मत बन फौलाद राह बनाएगी..

 

हो समस्त धाराएँ प्रतिकूल भी यदि,

दुस्साहसी को न डिगा पाएँगी..

+

13.12.2023


Tuesday, December 5, 2023

ये कैसा विषाद है

शांत सी ज़िंदगी में

कैसी ये तरंग है

क्या नहीं पाया

जिसे खोजता ये मन है

को तेरी नियति मान

लिया स्वीकार है..

फिर ये कैसा कोलाहल,

क्यों व्यथित हृदय आज है

साँसें हैं कुछ घुटी सी

क्यों आँखें भीगना चाहती

क्यों भंग होना चाहता

ये मौन आज है..

ये क्या चुभता..

दिल के किसी कोने में

क्यों अहसास अधूरे होने का

ये कैसा विषाद है..

+

05.12.2023


Monday, December 4, 2023

लम्हों से बंधी ज़िंदगी

दस्तूर ए ज़िंदगी

बस ये कि गुज़रा हुआ वक़्त

लौट के आता नहीं दुबारा..

 

लम्हों से बंधी ज़िंदगी

छिटक जाए जो कोई पल

उसे सजाता नहीं दुबारा..

 

कसूर ए ज़िंदगी बस इतना

जो चला गया ठुकरा के

उसे बुलाता नहीं दुबारा..

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04.12.2023