Saturday, August 20, 2022

वीर सैनिक

धरा स्तब्ध है और मायूस सी

आंखे नम और ज़ुबा 

खामोश सी

गर्व जो तुमने दिया जवानी को

दौड़ें लहू में पारे सी

ढाई मोर्चे की चुनौती

ढहा दी गीली दीवार सी

पराक्रम होता मोहताज़ नहीं

शक्ति रहती नहीं ग़ुलाम सी

सीमाएं कवच नहीँ हो सकती गद्दारों की

हदे कैद नहीं हो सकती रणबाकुरों की

ज़मीन गलवांन हो या कश्मीर की

साहसी फैसलों के पीछे

सेना खड़ी मजबूत दीवारों सी

होंगे मंच अब नए से भूमिकाएं बदली सी

इस पार या उस पार

ध्वज पर रहेगी छाप

अमर चक्र सी


Monday, August 15, 2022

इत्तेफाक

मेरी कविताएं - 1

 

कभी मिले दो अजनबियों की तरह

ज़ुदा पहचान लिए दो किनारों की तरह

बेनाम मंज़िल की ओर बहती दो कश्तियो की तरह

किस्मत ने बांधी डोर हमसफर की तरह

मंज़िले नई राहे ज़ुदा मिली

साथ चलना था जिन पर सयानों की तरह

बह कर आ बसी तुम्हारी दुनिया में

समुंदर के किसी गुमनाम धारे की तरह

पहचान खोकर इक नई पहचान पाई

आसमां में जड़े सितारों की तरह।



मेरी कविताएं - 2


बंद आंखों में ख़्वाब तुम्हारा था

थिरक रही थी धड़कने जिस पर वो साज़ तुम्हारा था

इस नींद में उम्र ही गुज़र जाए

तेरे ख्वाब के साथ दिन भी ठहर जाए

कोई हसरत ही न रह जाती

अगर ये खूबसूरत इतेफाक हो जाए

नींद खुलती औऱ दीदार तेरा

हो जाए।


Friday, August 12, 2022

मैं सूर्य हूँ

धधक रहा सदियों से

अनन्त अमिट ज्वाला आत्मसात किये

 प्रदप्त लपटों में स्वयं को भस्म कर

प्रकृति को प्रखर दिन, शीतल रात दिए

ऊर्जा की अपरिमित यात्रा

अंगारों की अशेष खान लिए

वसुधा को जीवन,नव अंकुर,नव प्राण दिए

रक्तिम आभा तप्त काया

सुवानवाग्नि सा सुलगता हृदय लिए

दहकते अंगारों में युग युगों से शयन किये

दिग दिगंत में,आदि अनंत में

सृजन को सर्वदा साक्षात किये

मैं गोलाकार ,व्योम धरा में एकसार

विशाल,तप्त,सुंदर, साकार

सत्य को निर्विकार किये

जन्म जन्मांतर से 

अखंडअग्नि ज्योति लिये

अगनित महाऔघ रश्मियों का पान किये

जिजिविषा का अक्षय पात्र लिए

मैं सूर्य हूँ, मैं सूर्य हूँ।


Thursday, August 11, 2022

योद्धा हूँ मैं

 मेरी कविताएं - 1

 

योद्धा हूँ मैं पराजय नहीं मेरी नियति

संघर्ष ही इस जीवन की परिणिति

चंडी है आराध्य मेरी रणभूमि है जननी

जन्म ही लिया जीवन समर में लौह टकराने को

विजय या वीरगति पाने को


मेरी कविताएं - 2


शिराओं में बहता तेरे 

राणा का लहू है

मिट के भी जो न मिट सका वो तू है

धरा से व्योम तक

जिनके कदमों के निशान

उनकी संतति तू है

आज फिर एक युद्ध जीवन का

जो इसे सकता है जीत

वो मात्र तू है।

Wednesday, August 10, 2022

अपने ही साये

अपने ही साये से कोई कितना भागे

मुंदी आंखों में कोई कितना जागे

क्या दूँ जवाब उन सवालों का

जो मेरा मैं ही मुझ पर दागे

 खुशी की चाह तो बहुत की

 पर वो न जाने क्यू दूर भागे

खुली आँखों से ख़्वाब बिखरते देखे

तमाम हसरतों के घोंसले उजड़ते देखे

इस हार को कैसे बदलूँ जीत में

कोई तो वो रास्ता बताये

अब तो इक ही तमन्ना दिल में

चांदनी से नहाये सपनों को

आसमां पर सजते देखें।


Monday, August 8, 2022

हाँ मैं मरूभूमि हूँ

अहंकार जिन्हें अपने हरित उपवन पर

बहती नदिया धरती के यौवन पर

शीतल पवन आनंदित जीवन पर

कह दो उन्हें जाकर 

गर्वित मैं हूँ अपने जीवन पर

न हो ठंडी छाव मेरे आँचल में तो क्या

तपते अंगारो में मैंने जीवन राग गाया है

तलवारों की झंकारों से जिसने इतिहास बनाया है

सपूतों ने जहाँ मिट्टी में अपना लहु बहाया है

हंसते हंसते जहाँ बेटियां चढ़ गई चिताओं पर

 जिन्होंने काल से टकराने को ही अपना खेल बनाया है

अस्त हुआ जब हिन्दू स्वाभिमान का सूर्य

मैंने अपनी छाती के लहु से स्वातंत्र्य का अलख जगाया है

जब खंडित हुए मंदिर,रक्त रंजित नगर सारे

तब भी मेरे तपते आंगन में 

गुंजित रहे जय भवानी के हुंकारे

खंड खंड हुये धड़ जहाँ, पर शीश कोई झुका न पाया

ऐसे सिंहों की जननी

मैं वो मरुभूमि हूँ

हाँ मैं मरूभूमि हूँहाँ मैं मरूभूमि हूँ।

Sunday, August 7, 2022

एक ही ख्वाहिश

बदनाम होने को इक ही फिसलन काफी है

नाम बनाने में तो उम्र गुज़र जाया करती है

मुद्दतों से एक ही ख्वाहिश तेरा साथ पाने की

क्यों पलभर में आइने सी बिखर जाया करती है

तेरी चाह में हम सब कुछ भुला बैठे

पर तेरे हिज़्र को ही ज़िन्दगी मेरा नसीब बना बैठी है

तुझसे वफ़ा को ही हमने अपनी तक़दीर माना

पर मूंद के पलकें तूने हमे बेगाना बना डाला

ताउम्र तेरी खुशी को अब्सार में बसाया हमने

मेरी एक अस्काम पर तूने नज़र से गिराया हमे

ज़िंदग़ी के सपने न सजे इस जहां में तो क्या

रूह मेरी क़यामत को ही अपना ख़ुदा मान बैठी है।


आज़ादी से अब तक का हमारा सफ़र

हमारा सफर


आज़ाद भारत के 75 वर्षों के सफर को सिर्फ शब्दों में बांध पाना सरल नहीं है. भारत की उपलब्धियां बेहद गौरवान्वित करने वाली और तमाम  विश्व जनसंख्या खासतौर तृतीय विश्व के देशों के लिए प्रेरणादायी हैं. उपनिवेशवाद की एक लंबी शोषणकारी दासता से जब हम 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुयेतब हमारी आंखों में सिर्फ एक स्वप्न थाभारत को एक राष्ट्र के रूप स्थापित करने कास्वतंत्रता अपने साथ विभाजन के गहरे ज़ख़्म लाई थीसमाज अविश्वाससंदेह से भर चुका थागरीबीआर्थिक पिछड़ापनखाद्यान्न संकट तो हमारी समस्याएं थी हीहम राजनीतिक रूप से भी अपरिपक्व थेशक्ति के बल पर निर्धारित होने वैश्विक पर्यावरण भी शक्तिहीन भारत के अनुकूल नहीं था.

हमे जीवित रहने के लिए विश्व के देशों से मदद भी चाहिए थी और हम अपनी स्वतंत्रता भी नहीं खो सकते थेहमे बुद्धिमानी के साथ संस्थागत और ढांचागत विकास के मार्ग पर आगे बढ़ना था. न्यायपालिकाकार्यपालिकाविधायिका और लोकतंत्र की ऐसी मजबूत नींव रखनी थीजिस पर भारत की बुलंद इमारत खड़ी की जा सके.

पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व नए आज़ाद भारत के सपनों की पहली सरकार ने कार्यभार संभालाविभाजन की समस्याएंरियासतों के भारतीय संघ में विलीन होने की समस्याओं से नई  सरकार निपट ही रही थी कि कश्मीर के लिए पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दियातमाम तकनीकी विवशताओं के कारण सही समय पर प्रतिउत्तर नही दिया जा सका जिसके परिणाम स्वरूप कश्मीर का 13000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पाकिस्तान के अवैध कब्जे में चला गया और गुलाम कश्मीर अस्तित्व में आयाबाद की स्थितियां हमारी राजनीतिक अदूरदर्शिता के कारण और भी जटिल हो गयीमामला सयुंक्त राष्ट्र पहुंच गया और आज तक सुलझाया नही जा सकाअर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी हमारी समस्याओं का कोई अंत नहीं थाआमदनी का सबसे बड़ा स्रोत कृषि क्षेत्र था जो बदहाल थापुरानी कृषि प्रविधियोंमानसून पर निर्भरताजोत की समस्या, किसान की ऋणग्रस्तता आदि वो समस्याएं थी जिनका उत्तर ढूंढे बगैर एक पग भी आगे नहीं बढ़ा जा सकता था. भारत ने अपनी औद्योगिक नीति के तहत जिसे 'बॉम्बे योजनाके नाम से भी जाना जाता है के द्वारा एक 'मिश्रित अर्थव्यवस्थाकी परिकल्पना की तथा राज्य और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम स्थापित किये गएपंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत की गई. 1960 के दशक में हरित क्रांति के साथ भारत ने खाद्यान्न उत्पादन में एक बडी छलांग मारीयह दशक चीन के साथ युद्ध औऱ उसमे हमारी पराजय का भी दशक हैलेकिन 1962 के युद्ध मे हमारी हार ने हमे शक्ति का महत्व समझाया, राजनीतिक आदर्शवाद को यथार्थवाद पर तौला जाने लगाइसी कालखंड में इसरो (1969), भामा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (1954) की स्थापना महत्वपूर्ण उपलब्धि रही.

भारत अपनी गुटनिरपेक्षता की नीति के कारण गुटों के संघर्ष से स्वयं को बचाने में सफल रहाकिंतु हमारी अपनी सुरक्षा चिंताएं गंभीर थीपाकिस्तान के सीटो, सेंटो जैसे पैक्ट में शामिल हो जाने से शीत युद्ध हमारे दरवाजे तक चुका था. 1970 आते आते भारत अपनी क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम हो रहा था. 1971 के भारत पाक युद्ध मे हमे शानदार विजय हासिल की और पाकिस्तान का विभाजन कर एक नया देश बांग्लादेश बनायाजिसने यह साबित किया कि हमारी सेनाएं दक्षिण एशिया में भारतीय हितों की रक्षा करने में समर्थ है. 18 मई 1974 को भारत ने पोखरण में परमाणु विस्फोट कर दुनिया को यह दिखा दिया कि हम किसी से कम नहीहमारी इस यात्रा में 1990 का दशक भी बेहद महत्वपूर्ण हैजब हमने तमाम घेरलू विरोधों के बाद भी उदारीकरण और वैश्वीकरण की ओर कदम बढ़ाएनिजीकरण और निवेश की राह चुनीसार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों का विनिवेश आरम्भ कर ढांचागत विकास के लिए धन एकत्र कियाजिससे निवेश को आकर्षित किया जा सकेसब्सिडी पर नियंत्रण और खर्च में कमी के प्रयास किया गए जिससे अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके. इनका परिणाम यह हुआ कि आज हमारी जी.डी.पी. 3.12 ट्रिलियन यू एस डॉलर के बराबर है तथा 2040 तक इसके 20 ट्रिलियन यूएस डॉलर हो जाने की आशा है

वर्ष 2050 तक हम चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगेमात्र इतना ही नही 75 वर्षो में हमने बेहद शानदार उपलब्धियां हासिल की है चाहे वह विज्ञान तकनीक का क्षेत्र होखेलसैनिकराजनीतिक या और कोई भीचंद्रयानमंगलयान की सफलताअमेरिका से परमाणु समझौताराकेट और मिसाइल में हमारी क्षमताये, बेखौफ सर्जिकल स्ट्राइक्सकश्मीर से धारा 370 का हटाया जानारूस और अमेरिका दोनों से अपनी शर्तों पर व्यापार करना हमारी बढ़ती हुई शक्ति और राजनीतिक साहस का प्रतीक हैहमने लंबा सफर तय किया शक्तिहीन से शक्तिशाली बनने काहम एक दृढ़ लोकतंत्र हैहमने कोविड काल मे अपनी सामर्थ्य का प्रदर्शन किया है. इतनी विशाल आबादी का मुफ्त टीकाकरण कर हमने ये दिखा दिया कि हम संकट में भी दृढ़ता से खड़े रह सकते है. 3%तक विकास दर गिरने के बाद भी आज हम वापस 8% की दर पर चुके है यह हमारी दृढ़ता का प्रतीक है

निसंदेह हमने बहुत कुछ अर्जित किया है किंतु अब भी हमे मानव विकास सूचकांकपर्यावरणन्यायिक सुधारों, राजनीतिक सुधारों, वैश्विक नेतृत्वहमारी वृहत्तर भूमिकाओं, संघीय ढांचे, सम्प्रदायवादराजनीतिक शुचिता जैसे मुद्दों पर बहुत कार्य करना है जिससे हम अपने सपनों के भारत का निर्माण कर सके.