Monday, November 27, 2023

है वैराग्य प्रेम भी

है वैराग्य प्रेम भी

एक साधना मोह-विहीन

तज आस तृप्ति की

चुनता प्रतीक्षा शिला सी..

 

बाँध हृदय में तप्त शूल

भटकता अनजान मरु में

अनुराग बनाता वियोगी

दहित कर चाह संसार की..

 

यात्रा यह प्रेम की

अनंत, अविराम सी

स्वयं में ही उपजती

समाहित होती स्वयं में ही..

 

27.11.2023


Saturday, November 18, 2023

जब लफ्ज़ सो जाएँगे

जब लफ्ज़ सो जाएँगे

खामोशियाँ बोलेंगीं

जब लहरें ठहर जाएँगी

किनारे डोलेंगे

जब तारों के दरिया में

चाँद कश्ती बन बहेगा

जब जमीं, गुलाबी सी

आसमां हरा होगा

तब मिलना तुम

मुझे उस रोज

जब सूरज, चाँदनी ओढ़े

क्षितिज पर खड़ा होगा...

जब आँखों की ज़रूरत न होगी

कान होंगे बेमानी

तब महसूस करना तुम

मुझे खुद में सिमटते हुए..

जब चिता बिछौना होगी

जल के राख होंगे सारे गुरूर

तब मिलना तुम, उस पार मुझे

अंजुरी भर शांति लिए....

+

18.11.23

Monday, November 13, 2023

श्रापित है तू गाज़ा..

हदें तोड़ने का

अंजाम भुगतना होगा

तुझे आग में जलना होगा

श्रापित है तू गाज़ा..

तुझे यूँ ही उजड़ना होगा।


सत्य को नकारने की

भूल की तूने

तरुणाई को राख बनना होगा

श्रापित है तू गाज़ा..

तुझे यूँ ही उजड़ना होगा।


नन्हे बच्चों को

जिहाद के राक्षस का

निवाला बनना होगा

श्रापित है तू गाज़ा..

तुझे यूँ ही उजड़ना होगा।


दुस्साहस कर

मौत को दिया न्योता

तुझे चीखों से दहलना होगा

श्रापित है तू गाज़ा..

तुझे यूँ ही उजड़ना होगा।


जुनूनीअंधों के सिर

सजाया ताज तूने

तुझे सभा में नग्न होना होगा

श्रापित है तू गाज़ा..

तुझे यूँ ही उजड़ना होगा।

+

12.11.23

 


Friday, November 10, 2023

रघुवर धरो पग

रघुवर धरो पग

तृप्त हो ये धराअम्बुद

स्वीकार करो वंदन

हे राम! हे रघुनंदन! 

काहे रहे विमुख

हे राजीव लोचन! 

हृदयनलनी गई कुम्हल

रेत हुए सब हृद

जिस दिन से फिरे पग

सकल भूमि रही तप

व्याकुल मीन, सरोज

तड़पे खगमृग

सहे वियोग चौदह बरस

एक युग रहा विकल

की प्रतीक्षा अनवरत

अब श्री विराजेंमिटे तम

सिया संग रघुवर धरो पग

पुरनगरआँगन हो पावन

जलें दीपों से दीप

झूमे प्रजा गुंजित हो गीत

अब मिले यह प्रतिफल

हृदय सजो रघुवर

मर्यादाएँ हों प्रतिष्ठित हे सियवर! 

स्वीकार करो वंदन...

+

09.11.23

 


Tuesday, November 7, 2023

अर्धनारीश्वर हो जाना जीवन तुम

नंदी सी अनंत प्रतीक्षा

शिव सा वैराग्य बन

तपस्या हो जाना

जीवन तुम।


गरल को अवरुद्ध कर

नीलकंठ सा

अमृत हो जाना

जीवन तुम।


नेत्रों में संहार छिपा

अरण्य,निर्जन सा

ध्यानमग्न हो जाना

जीवन तुम।


सृष्टि के रुदन पर

अभ्यंकर का

तांडव हो जाना

जीवन तुम।


मोह को भस्म कर

चिता सी वियोगी

भभूत हो जाना

जीवन तुम।


भंग हो शांति जब

धारण कर चंद्रशीश पर

शशिधर हो जाना

जीवन तुम।


मिलनवियोग से निरपेक्ष

अखंड सौभाग्य का

प्रतीक हो जाना

जीवन तुम।


समर्पण और प्रेम के

संयोग सा

अर्धनारीश्वर हो जाना

जीवन तुम।

+

06.11.23

 


Sunday, November 5, 2023

अभी थका नहीं मैं

अभी थका नहीं मैं

तिमिर से लड़ते हुए

किरनपुंज है व्यग्र

मेरे हृदय का

इस तम को देखने को

छँटते हुए..


फिर बजेगी रणभेरी

सूरज से आँख मिलाते हुए

चमकेगी असि

ले नाम भवानी का

देखेगा काल तड़ित को

लहराते हुए..


अभी शेष है

तप्त प्रवाह रुधिर का

उद्वेग खड़ा, भय को बाँधे हुए

यौवन फड़कता ललकार पर

देखेगा रण पौरुष को संघर्ष

करते हुए..

+

04.11.23

 


Friday, November 3, 2023

प्रेम कुचला गया ठोकरों में

प्रियतमायें हुई लांछित

विदुषियों को दूषा समाज ने,

जिसे समझा सौभाग्य पांचाली ने

अहो! वह बना दुर्भाग्य कैसे,

अरण्या हुई वह सीता भी

जिसका वरण किया स्वयं राम ने,

भस्म हुई वह सती भी

जिसका बन्धन बंधा शिव से,

वासना ने घेरा हृदय को

प्रेम कुचला गया ठोकरों में,

कायरों ने भोगा वैभव

पौरुष, दहित हुआ संघर्ष में,

मृत्यु के भय ने

जीवन बनाया शमशान जैसे.

+

02.11.23

 


Thursday, November 2, 2023

एक मौन जो सब कहता

एक आयामी नद से विवश

बहने को सागर की ओर, 

एक काली रात की प्रतीक्षा

देखने की सुनहरी भोर, 

एक अर्भ से उजड़े बाग का

हृदय, सावन में लेता हिलोर, 

एक गीत जिसकी रागिनी

झूमे, बांध तरंगों की डोर, 

एक जन्म स्वयं का

कटता, बाँध मृत्यु से छोर, 

एक मौन जो सब कहता

स्वर, जो लीन शांति में घनघोर.

+

02.11.23